
कैंसर एक ऐसी खामोश बीमारी है, जो वक्त रहते पहचान ली जाए, तो बचाव मुमकिन और आसान है।
कैंसर की बीमारी से निदान में उसका पता लग जाने का समय एक महत्वपूर्ण रोल अदा करता है, यानि आपको उसके बारे में स्टेज-1 पर पता चला या स्टेज-3 पर।
आईये कल्पना करते हैं कि एक शहर में रश्मि देवी नाम की एक अपने परिवार सहित रहती हैं, जो हर रोज अपने घर का काम संभालती थीं साफ-सफाई, रसोई, बच्चों की पढ़ाई आदि सब कुछ। एक दिन उन्हें छाती में एक छोटी सी गांठ महसूस हुई। उन्होंने सोचा, वैसे ही थोड़ी बहुत दिक्कत होगी, ये जी जिंदगी के साथ चलता रहता है, अपने-आप ठीक हो जायेगी। समय बीतता गया और वह गांठ बड़ी होती गई। जब तक वे डॉक्टर के पास गईं, तब तक वह स्तन कैंसर तीसरे स्टेज तक पहुँच चुका था।
यह कहानी सिर्फ किसी रश्मि देवी की नहीं है, यह हमारे समाज के हर उस व्यक्ति की कहानी है जो अपने जीवन की आपा-धापी में बीमारी को अनदेखा करता रहता है, लक्षणों को मामूली समझता है, और फिर बाद में पछताता है।
कैंसर का भयावह पहलू
विश्व भर में, हर साल लगभग 2 करोड लोगों को कैंसर का पता चलता है एवं एवं नये-पुराने रोगी मिलाकर हर साल लगभग 1 करोड लोग कैंसर से अपनी जान गवां देते हैं।
आईये जानते हैं कि कैंसर क्या है? (What is Cancer)
कैंसर कोई एक बीमारी नहीं है, बल्कि यह कई बीमारियों का समूह है। इसमें व्यक्ति के शरीर की कोशिकाएं (सैल्स, जैसा कि आप जानते ही हैं कि हमारा पूरा शरीर ‘सैल’ से बना होता है) असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और आसपास के ऊतकों को नष्ट कर देती हैं। धीरे-धीरे ये कोशिकाएं शरीर के अन्य हिस्सों तक फैलने लगती हैं। कोशिकाओं के इस विस्तार को मेटास्टेसिस कहते हैं।
इसे आप ऐसा समझ सकते हैं कि कैंसर की कोशिकाऐं अमर हो जाती हैं, जबकि हमारे शरीर का एक सिस्टम है कि लाखों-करोड़ों सैल्स रोज मरती हैं एवं रोज नयी पैदा होती हैं।
साधारण शब्दों में, जैसे किसी खेत में खरपतवार बिना रोक-टोक के उगती जाए-बढ़ती जाये और फसल को नष्ट कर दे, वैसे ही कैंसर की कोशिकाऐं शरीर के स्वस्थ अंगों की कोशिकाओं को धीरे-धीरे कमजोर या नष्ट कर देती हैं।
कैंसर के प्रकार (Types of Cancer)
- स्तन कैंसर (Breast Cancer)- महिलाओं में सबसे आमय खासकर 40 की उम्र के बाद।
- फेफड़ों का कैंसर (Lung Cancer) – अधिकांशतः धूम्रपान करने वालों में होता है। किन्तु जैसा कुछ बडे शहरों में प्रदूषण का स्तर चल रहा है, तो संभव है कि उसके कारण भी कुछ लोगों में फेफडे का कैंसर होने की संभावना बन सकती है।
- गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर (Cervical Cancer)- महिलाओं में एक आम लेकिन अनदेखा कैंसर।
- त्वचा का कैंसर (Skin Cancer)- सामान्तयः यह धूप में अत्यधिक रहने वालों को होता है।
- आंतों का कैंसर (Colon Cancer)- अधिक फैटी भोजन और कब्ज से पीड़ितों में।
- ब्लड कैंसर (Leukemia)- यह शरीर के खून बनाने वाले अंगों को प्रभावित करता है।
- मस्तिष्क कैंसर (Brain Tumor)- सिरदर्द, उलझन, और चक्कर जैसे लक्षणों के साथ।
- मुहं एवं गले का कैंसर (Oral Cancer)- इसका मुख्य कारण है तंबाकू, गुटखा, बीड़ी, सिगरेट आदि पाया गया है।
- इसके अलावा यह शरीर के किसी अन्य अंग को भी प्रभावित कर सकता है।
कैंसर क्यों होता है? (Causes of Cancer)
जीवनशैली की आदतें
आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी में हम क्या खा रहे हैं, इस पर बहुत कम ध्यान देते हैं। तले-भुने, पैक्ड, प्रोसेस्ड फूड, और मीठे पेय – ये सब शरीर में विषैले तत्व जमा करते हैं जो कैंसर को जन्म देते हैं।
उदाहरण- मुम्बई में रहने वाले 35 साल के रोहित, जो हर दिन ऑफिस में देर तक काम करते थे, फास्ट फूड पर निर्भर रहते थे। कुछ महीनों बाद पेट में गड़बड़ी और वजन घटना शुरू हुआ। जाँच में कोलन कैंसर निकला।
तंबाकू और धूम्रपान
भारत में मुँह और गले का कैंसर सबसे ज्यादा पाया जाता है – और इसका मुख्य कारण होता है – तंबाकू, गुटखा या बीड़ी, सिगरेट।
उदाहरण- बनारस के पप्पू भाई हर दिन गुटखा खाते थे, यह सोचकर कि “कुछ नहीं होता।” पर कुछ सालों बाद उन्हें बोलने में दिक्कत हुई, और जब जाँच हुई, तो मुँह का कैंसर निकला
अनुवांशिक कारण (Genetics)
यदि परिवार में किसी को कैंसर रहा हो, तो अगली पीढ़ी को भी उसका खतरा अधिक हो सकता है। ऐसे परिवार के सदस्यों को सावधान रहना चाहिये।
उदाहरण- रीता की माँ को स्तन कैंसर हुआ था। डाक्टर ने उसे सलाह दी थी कि रीता को 30 की उम्र से ही नियमित मैमोग्राफी करानी चाहिए
पर्यावरणीय कारक और रेडिएशन
प्रदूषण, जहरीले रसायनों से संपर्क और मोबाइल टावरों जैसी जगहों से निकलने वाली रेडिएशन भी कैंसर के पीछे एक कारण हो सकते हैं।
शहर और गांवों में कुछ आबादी किसी नदी, नहर के किनारे रहती है। उस नदी, नहर में सीवेज की मिलावट या फैक्टिरियों के अपशेष मिलने के कारण से उसमें घातक रसायनों का असर इतना अधिक हो जाता है कि उस नदी के पानी का उपयोग करने से भी कैंसर होने की घटनायें होती देखी गयी हैं।
कैंसर के लक्षण- कैसे पहचानें इस खामोश दुश्मन को?
कैंसर धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुँचाता है। यदि ये संकेत आपको लंबे समय से महसूस हो रहे हों, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें-
- अचानक वजन कम होना
- भूख में कमी या लगातार थकान
- किसी अंग में गांठ या सूजन
- खून आना – मुँह, पेशाब या मल के साथ
- त्वचा पर असामान्य बदलाव या दाग
- पुराना घाव जो ठीक न हो
- मुंह में छालों का लगातार निकलना
जैसे- 45 साल की भावना को हर सुबह खांसी में हल्का या खून आने की शिकायत थी। उन्होंने इसे सर्दी या धूल मिट्टी का इंफेक्शन समझा। छह महीने बाद पता चला कि यह फेफड़ों का कैंसर था।
कैंसर की जांच कैसे की जाती है? (Diagnosis of Cancer)
ब्लड टेस्ट – कुछ ट्यूमर मार्कर की जाँच के लिए।
बायोप्सी – किसी गांठ से सैंपल लेकर जांच।
मैमोग्राफी, पैप स्मीयर, कोलोनोस्कोपी – स्क्रीनिंग के लिए।
CT Scan, MRI, PET Scan – यह बताते हैं कि कैंसर कितना और कहां फैला है।
महत्वपूर्ण- यदि परिवार में कैंसर का इतिहास है, तो 30 की उम्र के बाद हर 1-2 साल में एक बार पूरी स्वास्थ्य जांच करानी चाहिए।
कैंसर से बचाव के उपाय (How to Prevent Cancer)
- तंबाकू, धूम्रपान और शराब से दूरी बनाएँ।
- हर दिन कम से कम 30 मिनट टहलें या योग करें।
- हरी सब्जियाँ, फल, और घर का बना खाना खाएँ।
- तनाव को कम करें – ध्यान, प्राणायाम करें।
- टीकाकरण कराएँ – HPV और हेपेटाइटिस B का टीका।
- सूरज की किरणों से बचें – खासकर 11 से 3 बजे तक।
व्यक्तिगत सलाह- अपने बच्चों को भी शुरुआत से ही हेल्दी खाने, खेलने और मोबाइल से दूर रहने की आदत डालें। यही आदतें जीवनभर उनका स्वास्थ्य मजबूत बनाएंगी।
कैंसर का इलाज – एलोपैथिक
एलोपैथिक इलाज (Allopathic Treatment)
- सर्जरी- ट्यूमर को निकालना
- कीमोथेरेपी- दवाइयों से कोशिकाओं को खत्म करना (कीमोथेरेपी के बारे में विस्तृत जानकारी के लिये क्लिक करें)
- रेडियोथेरेपी- रेडिएशन के द्वारा इलाज (रेडियोथेरेपी के बारे में विस्तृत जानकारी के लिये क्लिक करें)
- इम्यूनोथेरेपी- शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाना (इम्यूनोथेरेपी के बारे में विस्तृत जानकारी के लिये क्लिक करें)
इलाज के दौरान अनेकों प्रकार के साइड इफेक्ट हो सकते हैं, जिनमें से कुछ मुख्य हैं- बाल झड़ना, कमजोरी, भूख न लगना, चिड़चिड़ापन।
आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic Treatment
आयुर्वेद में कैंसर को ‘अरबुद’ कहा गया है। यह शरीर की तीनों दोषों (वात, पित्त, कफ) के असंतुलन से होता है।
- कंचनार गुग्गुलु- गांठ और ट्यूमर कम करने में सहायक है।
- गिलोय, अश्वगंधा- रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।
- त्रिफला- शरीर की सफाई करता है।
- योग और प्राणायाम- शारीरिक व मानसिक ऊर्जा बढ़ाता है
आयुर्वेद लगभग 5000 साल पुरानी चिकित्सा पद्धति है, इसमें सभी बीमारियों से लडने हेतु औषधियां उपलब्ध हैं, किन्तु किसी सही एवं अनुभवी आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में ही इलाज कराना उपयुक्त होगा।
नोट- आयुर्वेदिक इलाज को कभी भी एलोपैथिक इलाज का विकल्प न बनाएं, बल्कि पूरक बनाएं। हमेशा योग्य डॉक्टर से सलाह लें।
मानसिक सहारा और परिवार की भूमिका
कैंसर के मरीज के लिए सबसे जरूरी है – प्यार, समझ और मानसिक ताकत। कई बार मरीज इलाज से ज्यादा अपनों की बातों से हिम्मत पाता है। उनके साथ समय बिताएं, उसकी निराशा से बाहर निकालें, उम्मीद बनाए रखें, और हर छोटे से छोटे बदलाव पर नजर रखें।
कैंसर अब कोई अनजानी बीमारी नहीं है। समय रहते इसकी पहचान और सही इलाज से जीवन बचाया जा सकता है। हमें अपनी जीवनशैली में थोड़े से बदलाव करने होंगे, और नियमित जांच को अपनी आदत बनानी होगी। अपने शरीर में हो रहे किसी भी परिवर्तन के लिये लापरवाही छोडनी पडेगी।
ध्यान रखें- बीमारी से डरें नहीं, उससे लड़ें। जागरूक बनें, स्वयं भी और अपने परिवार को भी जागरूक बनायें।