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ध्यान (मेडिटेशन)एक साधना है, जिसे सही तरीके से करने से मन को शांति, एकाग्रता और आत्म-जागरूकता मिलती है। कई लोग इसे शुरू तो करते हैं लेकिन कुछ दिनों बाद छोड़ देते हैं, क्योंकि उन्हें या तो इसका सही तरीका नहीं पता होता या धैर्य की अत्यधिक कमी होती है।
आइयें इसे समझते हैं-
लगभग एक सप्ताह होने के उपरान्त ही इसमें बोरियत होने लगती है, कुछ लोग तो बोरियत होने पर तुरन्त ही इसको छोड देते हैं एवं कुछ धीरे-धीरे इसका समय कम करते जाते हैं और फाइनली यह बंद हो जाता है।
यहां समझने की जरूरत है कि ऐसा होता क्यूं है? देखिये आज के गतिशील जमाने में हर किसी को तुरन्त रिजल्ट चाहिये। दूसरा वो अपने आप को कभी भी अकेला छोडना नहीं चाहता या यूं समझे कि अपने दिमाग को विचारों से मुक्त करना नहीं चाहता। हालात यहां तक हैं कि टाॅयलेट में भी मोबाइल या अखबार लेकर जाना आज की मजबूरी बनती जा रही है। क्योंकि वहां बिताये जाने वाले 10 मिनट भी व्यक्ति विचार-शून्य नहीं होना चाहता। जबकि ‘‘ध्यान’’ विचार-शून्यता की पहली सीढ़ी है।
अपने दिमाग को समझायें कि ध्यान आपके जीवन के लिये जरूरी है, वो आपको इससे भटकाना चाहेगा, जैसा कि वो हर बार किसी भी नये और मेहनत भरे कार्य में करता है, मगर आप अपने निर्णय पर अडिग रहें।
दरअसल आपका दिमाग आपसे खेलता है, हम सोचते हैं कि हम अपने जीवन में जो कर रहे हैं, वो हम अपनी स्वेच्छा से कर रहे हैं अर्थात उन सभी विचारों पर हमारा नियंत्रण है, जबकि ऐसा नहीं होता, अधिकांश विचार हमारे सब-कांशस से आते हैं एवं हम हमेशा अपने कम्फर्ट जाॅन में ही रहना पसंद करते हैं। इसी कारण से हम सभी अधिकांशतः लगातार जिम नहीं जा पाते, सुबह जल्दी नहीं उठ पाते एवं और भी अनेकों ऐसे कार्य हैं, जिन्हें हम करना तो चाहते हैं, परन्तु कर नहीं पाते, बस सोचते ही रह जाते हैं।
यहां हम ध्यान करने के सभी पहलूओं पर विस्तार से चर्चा करेगें, जिससे आप इसे मात्र शुरू ही न करें, बल्कि इसमें आगे बढ़े एवं इसमें कामयाबी भी हासिल करें।
- ध्यान का सही तरीका
सबसे पहले, सही तरीके से ध्यान करने के लिए इन बुनियादी बातों को समझना जरूरी है।
सही स्थान और समय का चयन
- एक शांत और स्वच्छ स्थान चुनें जहाँ ध्यान के समय कोई व्यवधान न हो।
- शुरुआत में सुबह और रात सोने से पहले 10-15 मिनट का समय निकालें।
- नियमित समय एवं नियमित स्थान पर ध्यान करने से आपकी आदत बन जाएगी एवं वहां का वातावरण भी अनुकूल होता जायेगा।
(इ) सही मुद्रा (बैठने का सही तरीका)
- पालथी मारकर बैठना सबसे आरामदायक होता है किन्तु सुखासन, पद्मासन या अर्धपद्मासन में जो भी सुविधाजनक लगे किया जा सकता है या कुर्सी पर सीधे भी बैठ सकते हैं।
- अपनी रीढ़ को सीधा रखें, आँखें बंद करें और हाथों को घुटनों पर रखें।
- शरीर को सहज और तनावमुक्त रखें।
(ब) सांसों पर ध्यान केंद्रित करें
- धीरे-धीरे गहरी सांस लें और छोड़ें।
- अपनी सांसों की गति को महसूस करें और सिर्फ उसी पर ध्यान दें।
- यदि विचार आएं, तो उन्हें रोकें नहीं, जैसे ही आपको पता चले कि आप ध्यान से किसी विचार के भंवर में चले गये हैं, बस फिर से सांसों पर ध्यान केंद्रित करें।
- ध्यान के विभिन्न प्रकार
ध्यान के अनेकों प्रकार होते हैं, आपके लिए कौन-सा ध्यान उपयुक्त रहेगा, यह समझने के लिए कुछ प्रमुख प्रकारों को जानते हैं।
(A) अनुरूप सांस ध्यान ¼Mindfulness Meditation½
इसमें अपनी सांस, शरीर और विचारों को बिना किसी जजमेंट के देखना होता है।
जब भी आपका ध्यान भटके, धीरे से वापस सांसों पर लाएँ।
(इ) मंत्र ध्यान (Mantra Meditation)
किसी भी मंत्र (जैसे ‘‘ओम’’ या ‘‘सो-हम’’) का जाप करें और पूरी तरह से उसमें डूब जाएं। अपने अस्तित्व को भूलते चले जायें। धीरे-धीरे आपका शरीर हल्का होता चला जायेगा। आप बाहर से अपने अन्दर प्रवेश करने का अनुभव करते जायेगें। हालांकि ऐसी स्थिति थोडे प्रयास के बाद ही आती है।
इससे मानसिक स्थिरता और ध्यान की अवधि बढ़ती है।
(ब) द्रष्टा भाव (Vipassana Meditation)
अपने विचारों और भावनाओं को बाहर से देखने की कोशिश करें।
यह ध्यान आत्म-जागरूकता बढ़ाने में मदद करता है।
(क) निर्देशित ध्यान (Guided Meditation)
यदि ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है, जोकि स्वभाविक है, तो किसी अनुभवी व्यक्ति या ऑडियो गाइड का सहारा लेना लाभदायक हो सकता है।
इसमें आपको मानसिक रूप से एक शांत जगह की कल्पना करने के लिए कहा जाता है।
- ध्यान में गहराई लाने के उपाय
अगर आप वास्तव में ध्यान में निपुण बनना चाहते हैं, तो इन बातों को अपनाना आपके ध्यान की अवधि एवं क्षमता को बढ़ाने में सहायक होगा।
नियमितता बनाए रखें दृ हर दिन कम से कम 10 मिनट ध्यान अवश्य करें। मन न भी करें तो भी उसे समझायें एवं निरन्तरता की ताकत को पहचानें।
धैर्य रखें – तुरंत परिणाम की उम्मीद न करें, धीरे-धीरे मन स्थिर होगा। आज की कोलाहल भरी दुनिया में मन को शांत करना एक मेहनल भरा लक्ष्य हो सकता है।
शरीर को तैयार करें – हल्का योग या स्ट्रेचिंग करने के बाद ध्यान करना आसान होगा।
डायरी लिखें – ध्यान के अनुभव को लिखने से आपकी समझ गहरी होगी एवं इसका महत्ता ज्यादा पास से महसूस कर पायेगें।
सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएँ – ध्यान को एक बोझ न समझें, इसे आनंद से करें। क्योंकि हमारा मस्तिष्क जिस काम को बोझ समझता है, उससे झुटकारा पाने का हर संभव प्रयास करता रहता है।
- ध्यान के लाभ
अगर आप इसे नियमित रूप से करेंगे, तो आपको ये लाभ मिलेंगे।
- मानसिक शांति और तनाव कम होगा।
- एकाग्रता और स्मरण शक्ति बढ़ेगी।
- भावनात्मक संतुलन बेहतर होगा।
- नकारात्मक सोच कम होगी।
- आत्म-जागरूकता और आत्म-नियंत्रण बढ़ेगा।
- ध्यान में आने वाली समस्याएँ और उनके समाधान
अगर आपको ध्यान में कठिनाई हो रही है, तो ये उपाय अपनाना लाभकारी हो सकता है।
- ध्यान में ख्याल आते हैं – कोई बात नहीं, उन्हें स्वीकार करें और सांसों पर लौटें।
- नींद आने लगती है – रीढ़ सीधी रखें, आँखें हल्की खुली रखें और सुबह ध्यान करें।
- बोरियत महसूस होती है – मन को मजबूर न करें, धीरे-धीरे इसे आनंददायक बनाएं।
- ध्यान में उन्नति कैसे करें?
- शुरुआत में 5-10 मिनट करें, फिर धीरे-धीरे समय बढ़ाएँ।
- आरम्भ में किसी ध्यान गुरु से सीखने से भी आप शुरूआती दिक्कतों से जीत सकते हैं।
- प्राकृतिक स्थानों पर ध्यान करें (जैसे बगीचा, नदी किनारा)।
- ध्यान के बाद कुछ देर शांति से बैठे रहें और अनुभव को महसूस करें। अपने को अन्दर से महसूस करें।
ध्यान कोई कठिन प्रक्रिया नहीं है, बस सही तरीके से नियमित अभ्यास करने की जरूरत है। धीरे-धीरे यह आपकी आदत बन जाएगा एक बार ये आपके सब-कांशस माइन्ड में फिट हो गया तो समझलो कि आपकी दिक्कत लगभग खत्म हो गयी।
यह आपको मानसिक शांति और आत्मिक उन्नति प्रदान करेगा। आप इसे एक खेल की तरह लें और रोज इसका अभ्यास करें। अपने दिमाग को समझायें कि ध्यान आपके जीवन के लिये जरूरी है, वो आपको इससे भटकाना चाहेगा, मगर आप अपने निर्णय पर अडिग रहें, फिर देखिए कैसे आपकी जिंदगी में सकारात्मक बदलाव आता है!